नई दिल्ली। हिंदू देवी दुर्गा के रूप में पिछले साल अक्टूबर में पजी गई मुस्लिम परिवार की बच्ची फातिमा का परिवार नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। परिवार का कहना है कि सीएए समाज में भेदभाव बढ़ा रहा है। स्वामी विवेकानंद ने कश्मीर में एक मुस्लिम नाविक की बेटी का पूजन किया था। इसी तर्ज पर 121 साल बाद बंगाल में एक दंपति ने मस्लिम बच्ची का पूजन करने का फैसला लिया था। फातिमा के मामा याचिकाकर्ता एम.डी अहमद ने कहा, हम ने बुधवार को एक याचिका दायर की है। नागरिकता संशोधन अधिनियम (ट) के साथ-साथ राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर और राष्टीय जनसंख्या रजिस्टर माज को अलग विभाजित करेगा। हम सभी इस देश के नागरिक हैं। इतने सालों । इतने सालों बाद लोग, विशेष तौर पर गरीब लोग अपना जन्म प्रमाण पत्र या किसी भी अन्य तरह का दस्तावेज कैसे देंगे। उत्तर 24 परगना जिले के कमरहटी के निवासी अहमद 4 साल की फातिमा के मामा है। फातिमा के पिता मुहम्मद ताहिर आगरा में फतेहपुर सीकरी के पास किराने की दकान चलाते हैं। पिछले साल अक्टबर में दर्गा पजा के दौरान कमरिमा नगर पालिका के एक इंजीनियर और उनकी में और र तमाल दत्ता ने फातिमा को देवी के मानव रूप के रूप में पूजन किया थागौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सीएए को लागू करने पर राक लगान से इनकार कर दिया थाइस पर अहमद का प्रतिनिधित्व कर रहे कोलकाता के पर्व महापौर बिकास रंजन ने कहा, अहमद की याचिका को सनवाई के लिए सचीबद्ध किया गया है। अदालत ने कहा कि सभी याचिकाओं पर संविधान पीठ द्वारा एक साथ सनवाई की जाएगी।
हिंदू देवी दुर्गा के रूप में पूजी गई मुस्लिम बच्ची का परिवार सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा